छठ पूजा भारत का एक पवित्र और लोकआस्था का पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है और दिवाली के छह दिन बाद आता है।
इस लेख में जानें – छठ पूजा 2025 की तिथियां, पूरा कार्यक्रम, धार्मिक मान्यताएं और छठ व्रत की विधियां।
📅 छठ पूजा 2025 की तारीखें
दिन | तारीख | अवसर |
---|---|---|
शनिवार | 25 अक्टूबर 2025 | नहाय-खाय |
रविवार | 26 अक्टूबर 2025 | खरना |
सोमवार | 27 अक्टूबर 2025 | संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य) |
मंगलवार | 28 अक्टूबर 2025 | उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य) और पारण |
सूर्य के समय:
- 27 अक्टूबर: सूर्योदय – 6:30 AM | सूर्यास्त – 5:40 PM
- 28 अक्टूबर: सूर्योदय – 6:30 AM | सूर्यास्त – 5:39 PM
🔱 छठ पूजा का धार्मिक महत्व
- छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया (प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी) को समर्पित पर्व है।
- छठी मैया को संतान सुख और समृद्धि की देवी माना जाता है।
- यह पर्व आस्था, संयम, स्वच्छता और प्रकृति के सम्मान का उत्सव है।
छठ पूजा 2025 का चार दिवसीय कार्यक्रम
1. नहाय-खाय (25 अक्टूबर, शनिवार)
व्रती इस दिन पवित्र स्नान कर सात्विक भोजन करती हैं। भोजन में चने की दाल, लौकी और चावल शामिल होता है।
2. खरना (26 अक्टूबर, रविवार)
इस दिन व्रती दिनभर उपवास करती हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केला छठी मैया को भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करती हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है।
3. संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार)
संध्या के समय व्रती घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। तालाबों, नदियों पर दीप जलाए जाते हैं और पारंपरिक छठ गीतों से वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
4. उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर, मंगलवार)
अंतिम दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और उसके बाद पारण कर व्रत का समापन करती हैं।
पौराणिक मान्यताएं और इतिहास
- रामायण: कहा जाता है कि माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद छठ व्रत किया था।
- महाभारत: कुंती ने पुत्र प्राप्ति के लिए और द्रौपदी ने पांडवों के लिए राज्य की पुनर्प्राप्ति हेतु छठ पूजा की थी।
- इसलिए यह पर्व आज भी संतान और परिवार की भलाई के लिए किया जाता है।
छठ पूजा में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद
- ठेकुआ (गुड़ और गेहूं से बना खास पकवान)
- गुड़-चावल की खीर
- केला
- गन्ना
- सिंघाड़ा
- नारियल
- सूप और दउरा में सजाए गए फल और अन्न
छठ पूजा की खास बातें
- छठ व्रत बिना किसी पंडित के किया जाता है
- केवल प्राकृतिक और शुद्ध चीज़ों का प्रयोग होता है
- पर्यावरण-संवेदनशील और प्लास्टिक मुक्त आयोजन
- पूरे समाज में सामूहिकता, सेवा और समरसता का माहौल बनता है
- महिलाओं की आस्था, शक्ति और तपस्या का प्रतीक पर्व
निष्कर्ष
छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, यह हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था की जीवंत झलक है। 2025 में यह पर्व 25 से 28 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा।
आइए हम सब मिलकर इस पावन पर्व को श्रद्धा, अनुशासन और समर्पण भाव से मनाएं, और सूर्य देव एवं छठी मैया से अपने परिवार की खुशहाली की कामना करें।
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